पूर्व निगमायुक्त प्रतिभा पाल जी (IAS)और स्मार्ट सिटी के अफसरों के द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट एजेंसी को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को धता बताते हुए एजेंसी का अनुबंध अवैध तरीक़े से 7 सालों के लिए बढ़ा दिया गया,जबकि एजेंसी का मूल अनुबंध पूरा होने में तीन साल से अधिक का समय बाकी था…! ऐसा क्यों…? इसके पीछे “सलाहकार” कौन था…?
मूल अनुबंध की शर्तो पर ही एजेंसी को कोरोना अवधि के 22 महीने के साथ 7 साल अर्थात लगभग 9 सालों तक काम करने का ठेका बाले-बाले दे दिया गया,जबकि एजेंसी द्वारा निगम को देय रॉयल्टी की करोड़ों रुपयों की राशि बकाया थी। निगम की बकाया राशि को अनदेखा करते हुए स्मार्ट सिटी के अधिकारियों द्वारा एजेंसी को फायदा पहुंचाया गया…!
आम तौर पर शालीन और शांत रहने वाले महापौर @advpushyamitra जी ने इस मामले पर महापौर परिषद की शिकायत मिलते ही कलेक्टर को मामले की जांच कर गलत अनुबंध तत्काल निरस्त करने और दोषियों पर कार्यवाही के लिए निर्देशित किया।एजेंसी से बकाया वसूली के नोटिस भी जारी किए गए।
यही नहीं, महापौर जी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मांग की है, कि दोषी अधिकारियों की जांच EOW या लोकायुक्त से करवाई जाकर जनता के पैसे खाने वालों पर कड़ी कार्यवाही की जाए।
क्या कारण है कि भ्रष्टतंत्र एक निर्वाचित महापौर पर भी हावी ह