भगवान द्वारिकाधीश साढ़े तीन मुरैना मे

गुजरात और श्रीनाथजी में दीपावली पर द्वारिका में द्वारिकाधीश मंदिर के पट बंद रहेंगे, क्योंकि भगवान अभी मुरैना में है।


मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में भगवान द्वारिकाधीश साढ़े तीन दिन की मेहमानी करेंगे। जिनके दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं। मुरैना गांव स्थित प्राचीन दाऊजी मंदिर है, जहां आज से लीला मेला शुरू हो रहा है। ऐसी मान्यता है कि 300 साल पुराने इस मंदिर पर भगवान द्वारिकाधीश अपना धाम छोडकऱ गांव में मेहमानी करने आते हैं।


गुजरात और श्रीनाथजी में दीपावली पर द्वारिका में द्वारिकाधीश मंदिर के पट बंद रहते हैं


दाऊजी मंदिर के महंत बताते हैं कि भगवान द्वारिकाधीश साढ़े तीन दिन तक जब मुरैना गांव में रहते हैं तब गुजरात के द्वारिका में द्वारिकाधीश मंदिर के पट बंद रहते हैं। क्योंकि भगवान की पूजा-अर्चना मुरैनागांव में होती है। उल्लेखनीय है कि चार धाम के तीर्थ यात्रियों ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है। कुछ यात्रियों ने यह भी बताया कि श्रीनाथजी में भी दीपावली पर कहा जाता है कि अभी भगवान की पूजा मुरैना में हो रही है।
जब गोपराम को ब्रह्मलोक ले गए थे द्वारिकाधीश
दाऊजी मंदिर के महंत स्वामी बताते हैं कि 765 साल पहले मुरैना गांव निवासी कृष्ण भक्त संत गोपराम स्वामी को भगवान ने स्वप्न में दर्शन दिए और अपने साथ ब्रह्मलोक ले जाने लगे। गोपराम बाबा भगवान द्वारिकाधीश से कहा कि लोग कैसे जानेंगे कि आप मुझे लेने मुरैना गांव आए थे। स ्वप्न में ही भगवान श्रीकृष्ण ने संत गोपराम से वादा किया था कि मैं हर साल दीपावली की पड़वा से चौथ तक के लिए मुरैना गांव में मेहमानी करने आया करूंगा। उसी समय से लगातार द्वारकाधीश हर साल दीपावली की पड़वा से साढ़े तीन दिन की मेहमानी करने मुरैना गांव आते हैं।


हर साल होता है बेटे का जन्म
भगवान ने संत गोपराम स्वामी को यह भी वचन दिया था कि मेरी यहां दीवाली पर उपस्थिति यूं मानी जाए कि मेरे यहां आगमन से पहले दीपावली के त्यौहार के नजदीक (15 दिन पहले) इस गांव के स्वामी परिवारों में किसी न किसी के घर बेटे का जन्म अवश्य होगा।


गोपराम के नाम से पुजते हैं भगवान द्वारिकाधीश
कलि में आइ करौली न देखी, और न देखी मुरैना की लीला। यानी कलियुग में आकर अगर करौली कैलादेवी मां के दर्शन नहीं किए और मुरैना गांव दाऊजी मंदिर की लीला नहीं देखी तो मानो कुछ नहीं देखा। जी हां, यही महत्व है लीला मेले का, जिसमें भगवान द्वारिकाधीश की यहां साढ़े तीन दिन तक मान्य उपस्थिति रहेगी। खास बात है कि मुरैना गांव के दाऊजी मंदिर पर बलदाऊ की प्रतिमा नहीं है, बल्कि यहां भगवान द्वारिकाधीश की प्रतिमा है। यह प्रतिमा दाऊ यानी संत गोपराम बाबा के नाम से पुजती है, जिनकी समाधि मंदिर परिसर में ही बगल से बनी है।


कलि में आइ करौली न देखी, और न देखी मुरैना की लीला। यानी कलियुग में आकर अगर करौली कैलादेवी मां के दर्शन नहीं किए और मुरैना गांव दाऊजी मंदिर की लीला नहीं देखी तो मानो कुछ नहीं देखा। जी हां, यही महत्व है लीला मेले का, जिसमें भगवान द्वारिकाधीश की यहां साढ़े तीन दिन तक मान्य उपस्थिति रहेगी। खास बात है कि मुरैना गांव के दाऊजी मंदिर पर बलदाऊ की प्रतिमा नहीं है, बल्कि यहां भगवान द्वारिकाधीश की प्रतिमा है। यह प्रतिमा दाऊ यानी संत गोपराम बाबा के नाम से पुजती है, जिनकी समाधि मंदिर परिसर में ही बगल से बनी है।